न्यायपालिका पर 2 ट्वीट, सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाते हुए एक रुपये का जुर्माना किया
नयी दिल्ली : न्यायपालिका के खिलाफ 2 अपमानजनक ट्वीट को लेकर आपराधिक अवमानना के दोषी ठहराये गये अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सजा सुनाते हुए एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना किया। पीठ ने कहा कि जुर्माने की यह राशि 15 सितंबर तक जमा नहीं करने पर उन्हें 3 महीने की कैद भुगतनी होगी और 3 साल के लिए वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने फैसले में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी बाधित नहीं की जा सकती, लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करने की आवश्यकता है।
जुर्माना भरूंगा, अपील का अधिकार भी सुरक्षित

प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘दोषी ठहराए जाने और सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका का मेरा अधिकार जहां सुरक्षित है, वहीं मैं इस आदेश को उसी तरह स्वीकार करता हूं जैसा किसी दूसरी कानूनी सजा को स्वीकार करता और मैं सम्मानपूर्वक जुर्माना अदा करूंगा।’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए मेरे मन में बेहद सम्मान है। मैं हमेशा मानता हूं कि यह उम्मीद का अंतिम ठिकाना है, खासतौर पर गरीबों और वंचितों के लिए। उन्होंने कहा कि ट्वीट किसी भी तरह उच्चतम न्यायालय या न्यायपालिका के प्रति असम्मान के उद्देश्य से नहीं किये गए थे।
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