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‘अभिव्यक्ति की आजादी’ का हुआ सबसे ज्यादा दुरुपयोग : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि हाल के समय में बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का ‘सबसे ज्यादा’ दुरुपयोग हुआ है। इस टिप्पणी के साथ ही न्यायालय इस साल के शुरू के तबलीगी जमात के मामले में मीडिया की कवरेज को लेकर दायर हलफनामे को ‘जवाब देने से बचने वाला’ और ‘निर्लज्ज’ बताते हुए केंद्र को आड़े हाथ लिया।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जमीयत-उलमा-ए-हिंद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय तबलीगी जमात के आयोजन को लेकर मीडिया का एक वर्ग सांप्रदायिक वैमनस्य फैला रहा था।

पीठ ने कहा, ‘बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हाल के समय में सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ है।’ पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब जमात की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि केन्द्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलना चाहते हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘वे अपने हलफनामे में कुछ भी कहने के लिये स्वतंत्र हैं जैसे आप अपने हिसाब से कोई भी दलील पेश करने के लिये स्वतंत्र हैं।’ हालांकि, पीठ इस बात से नाराज थी कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव की बजाय अतिरिक्त सचिव ने यह हलफनामा दाखिल किया है जिसमें तबलीगी जमात के मुद्दे पर ‘अनावश्यक’ और ‘बेतुकी’ बातें कही गयी हैं।

पीठ ने सख्त लहजे में कहा, ‘आप इस न्यायालय के साथ इस तरह का सलूक नहीं कर सकते जैसा कि इस मामले में आप कर रहे हैं।’ शीर्ष अदालत ने सूचना एवं प्रसारण सचिव को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें इस तरह के मामलों में मीडिया की अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिये उठाये गये कदमों का विवरण हो। मामले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी।

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