हाथरस डीएम से इलाहाबाद कोर्ट ने पूछा- अगर तुम्हारी बेटी होती तब भी आधी रात में जला देते?
हाथरस डीएम से कोर्ट ने पूछा कि अगर पीड़िता किसी अमीर की बेटी होती तो क्या इस तरह जला देते रात के अँधेरे में?
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में हाथरस मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई. इस दौरान कोर्ट ने पुलिस प्रशासन से कई तीखे सवाल पूछे जिनका जवाब उनके पास नहीं था. इलाहाबाद कोर्ट ने हाथरस मामले में डीएम से पूछा कि अगर पीड़िता किसी अमीर की बेटी होती तो क्या इस तरह जला देते रात के अँधेरे में? इस पर डीएम के पास कोई जवाब नहीं था. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि मानवता के अधिकार से आप कैसे पीड़ित परिवार को वंचित कर सकते हैं? हालांकि, इस पर DM ने कानून व्यवस्था बिगड़ने का तर्क दिया. लेकिन कोर्ट डीएम के इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ.
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न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने दोपहर बाद मामले की सुनवाई शुरू की इस दौरान पीड़ित परिवार अदालत में मौजूद रहा. इसके अलावा गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव पुलिस महानिदेशक अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था के साथ-साथ हाथरस के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी अदालत में उपस्थित हुए
हाथरस के जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने अदालत से कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था
अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ित परिवार का बयान रिकॉर्ड कराया. इसके अलावा अदालत ने हाथरस के डीएम, एसपी और अन्य अधिकारियों से पूछताछ की. अदालत में अपर मुख्य सचिव, डीजीपी और स्थानीय प्रशासन के अफसरों से कई सवाल किए गए. बता दें कि एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने दावा किया था कि हाथरस में 19 साल की युवती के साथ रेप नहीं हुआ. उन्होंने कहा था कि युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी. प्रशांत कुमार के इस बयान पर कोर्ट ने पूछा उन्हें कैसे पता की रेप नहीं हुआ? क्या जाँच पूरी हो गयी?
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख दो नवंबर नियत की. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता वीके साही अदालत में मौजूद रहे.
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