Inspirational stories in hindi (मनोज्ञान – ‘मन का ज्ञान’ खोटे सिक्के को भी ‘खरा सोना’ बना देता है! केके) :
एक बार महात्मा बुद्ध एक राज्य में पहुँचे। जब वहाँ के राजा को इस बात का पता चला तो वह गौतम को अपने राजमहल में ले गया। वह राजा बड़ा ही दयालु एवं धर्म की राह पर चलने वाला था और जनता के कष्टों को दूर करने का सदैव प्रयत्न करता था। उस राजा के एक पुत्र था जो अभी छोटा था। वह राजा के स्वभाव से बिलकुल विपरीत था। उसे निरपराधों को यातना देने में बड़ा ही आनन्द प्राप्त होता था। वह स्वभाव से दुष्ट और निर्दयी था।
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उसकी बोली में बड़ी कड़वाहट थी। उसे बात-बात में क्रोध आ जाता था। वह राजा अपने पुत्र की इन हरकतों से बड़ा ही परेशान था। उसने राजकुमार को सुधारने का काफी प्रयास किया लेकिन वह असफल रहा। उसने बड़े-बड़े विद्वान, पण्डित और ज्ञानी लोगों को उसका अध्यापक नियुक्त किया लेकिन सभी कुछ व्यर्थ रहा। जब भगवान बुद्ध को उस राजा ने यह बात बतायी तो भगवान ने उसे निश्चिंत रहने को कहा और वे उठकर उस राजकुमार के पास जा पहुँचे। उन्होंने राजकुमार को अपने साथ ले लिया और उससे प्रकृति एवं सुंदरता की बाते करने लगे। उन्होंने राजकुमार को कोई नीति उपदेश नहीं दिया। वे टहलने लगे। तभी गौतम बुद्ध ने एक छोटा-सा वृक्ष देखा।
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वह घूमते हुए राजकुमार को वृक्ष के पास ले गए और कहा, “राजकुमार! इस वृक्ष का पत्ता तो तोड़ कर चखो कैसा है?” भगवान की बात सुनकर राजकुमार ने वैसा ही किया। पत्ते को तोडा और मुँह में डाला तो मुँह का सारा स्वाद कड़वा हो गया। मुँह में कड़वाहट भरने से वह राजकुमार काफी नाराज हुआ और उसने भगवान से तो कुछ नहीं कहा लेकिन तुरंत ही एक नौकर को आदेश दिया कि “इस कड़वे वृक्ष को काट दिया जाए।” गौतम बोले – “राजकुमार! ये तुम क्या कर रहे हो?”
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राजकुमार बोले – “भगवन! इस पौधे के लिए यही उचित है। यह पौधा अभी से इतना कड़वा है तो बढ़ने पर इसकी क्या स्थिति होगी? यह तो विष जैसा हो जायेगा ?” तब भगवान बोले – “तुम सत्य कह रहे हो राजकुमार। जो कड़वा है उससे सभी दूर रहना चाहते हैं और जो मीठा है सभी उसे अपने पास रखना चाहते हैं।
इस प्रकार यदि तुम्हारे दुर्व्यवहार और अत्याचारों से परेशान होकर जनता तुम्हारे साथ वही व्यवहार करे जो तुम इस वृक्ष के साथ कर रहे हो तो क्या तुम्हे उचित लगेगा?” भगवान बुद्ध की बातों से राजकुमार को अपनी ग़लती का पता चल गया। उसने भगवान बुद्ध के चरणों में झुककर फिर कभी ऐसा न करने की कसम खाई और कुछ ही दिनों में राजकुमार का हृदय परिवर्तन हो गया। अब वह सभी से मीठा बोलकर प्रेम करने लगा।
केके
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