शिक्षा मंत्रालय ने खत्म की No Detention Policy, अब 5वीं से 8वीं कक्षा में फेल छात्रों को नहीं मिलेगा प्रमोशन
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) को खत्म करने की घोषणा की है। इस नीति के तहत, पहले कक्षा 5वीं से 8वीं तक के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर भी प्रमोशन मिल जाता था। अब इस पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया है, और इससे छात्रों के शैक्षिक परिणामों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
मुख्य बिंदु:
- नए नियमों के अनुसार:
- यदि कोई छात्र कक्षा 5वीं से 8वीं के बीच वार्षिक परीक्षा में असफल होता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
- छात्रों को पुनः परीक्षा का अवसर मिलेगा, जो कि परीक्षा के परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर आयोजित की जाएगी। अगर पुनः परीक्षा में भी छात्र योग्य नहीं होता, तो उसे उसी कक्षा में रखा जाएगा।
- शिक्षकों और माता-पिता का सहयोग:
- इस प्रक्रिया में शिक्षक और माता-पिता की अहम भूमिका होगी। यदि छात्र को परीक्षा में असफलता मिलती है, तो उन्हें मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होगी, ताकि छात्र अगली बार अच्छे प्रदर्शन के लिए तैयार हो सके।
- पहले से लागू बदलाव:
- यह नीति केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, और सैनिक स्कूलों में लागू होगी। इसके अतिरिक्त, शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) में 2019 में किए गए संशोधन के बाद, पहले ही 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने कक्षा 5 और 8 के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया था।
- इससे पहले, इन कक्षाओं में असफल छात्रों को अगले वर्ष के लिए प्रमोट कर दिया जाता था, जो अब समाप्त हो जाएगा।
- शैक्षिक सुधार:
- सरकार का मानना है कि यह कदम छात्रों की सीखने की क्षमता में सुधार करेगा। यह नीति छात्रों को ज्यादा जिम्मेदार बनाएगी, और उनके अकादमिक प्रदर्शन में वृद्धि होगी। इसके अलावा, यह कदम शिक्षा के स्तर को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
- पुनः परीक्षा और परीक्षा प्रक्रिया:
- छात्रों को पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा, लेकिन केवल दो महीने के भीतर। अगर छात्र पुनः परीक्षा में भी फेल होता है, तो उसे उसी कक्षा में रखा जाएगा।
- शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह कदम छात्रों की शिक्षा पर बेहतर प्रभाव डालेगा और उन्हें अपनी सीखने की प्रक्रिया में अधिक सक्रिय बनाएगा।
इस बदलाव के पीछे की वजह:
- मंत्रालय का कहना है कि अब छात्रों को केवल प्रमोशन देने की बजाय, उनके वास्तविक प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाया गया है और छात्रों को अकादमिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा।
- इससे छात्रों की ज़िम्मेदारी भी बढ़ेगी, और उन्हें अपनी पढ़ाई के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर मिलेगा।
राज्य सरकारों को नई अधिकारिता:
- अब राज्य सरकारों को भी यह अधिकार मिल गया है कि वे कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए अपनी नीति तय कर सकें। इससे हर राज्य अपनी शैक्षिक स्थिति और जरूरतों के अनुसार निर्णय ले सकता है।
कुल मिलाकर, यह नीति बदलाव भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम है, जिससे छात्रों के शैक्षिक परिणामों पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।
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